Wednesday 11 May 2022

माता सीता अयोनिजा थी

 #माता_सीता_के_विषय_में_अज्ञता


वरुण पाण्डेय शिवाय जी के इस पोस्ट पर कुल 51 लोगो ने सहमति जताई है जिसका हमने स्क्रीनशॉट लगाया है ।



शिष्ट पुरुषों का लक्षण है कि धर्मादि बिषयों पर सप्रमाण आपने कथनों को रखा जाय तो वह सम्मानीय होता है पाण्डेय जी ने जिन मुख्य बिषयों के ओर संकेत किया है वह मुझे युक्तियुक्त जान नही पड़ते यदि कोई युक्तियुक्त प्रमाण हो तो पाण्डेय जी प्रकाशित कर अपने प्रतिज्ञा वाक्य को सिद्ध करें 

नम्बर एक (१) माता सीता का जन्म यज्ञ योग्य क्षेत्रमण्डल का हल से कर्षण करने से उनका प्रकाट्य नही हुआ था 

नम्बर (२) यदि माता सीता भूमिजा नही थी तो इसका स्पष्ट अर्थ निकलता है कि माता सीता साधारण स्त्रियों की भांति योनिज है ।

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वाल्मीकि रामायण के विरुद्ध जितने भी वृत्तांत है वह अनादर्णीय है ।


इतिहासो में वाल्मीकि रामायण श्रेष्ठ है 

■--नास्ति रामायणात् परम् (स्कंद पुराण उत्तर खण्ड रा०आ० ५/२१)

क्यो की 

■--रामायणमादिकाव्य सर्वेदार्थ सम्मतं (स्कंद पुराण उत्तर खण्ड रा०आ० ५/६४)

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■--धर्मस्य_सूक्ष्मतवाद्_गतिं (महाभारत)

धर्म की गति अति सूक्ष्म है अतः हम जैसे अल्पज्ञ अल्पश्रुतो में भ्रम होना स्वाभाविक भी है ।

इस लिए श्रुतियों ने स्पष्ट घोषणा की है 


■-वि॒द्वांसा॒विद्दुरः॑ पृच्छे॒दवि॑द्वानि॒त्थाप॑रो अचे॒ताः ।


नू चि॒न्नु मर्ते॒ अक्रौ॑ ॥[ऋ १/१२०/२]


■-आचार्यवान् पुरुषो  वेद । (छान्दोग्य उपनिषद)


■--तद्विज्ञानार्थं स गुरुमेवाभिगच्छेत् समित्पाणि: श्रोत्रियं ब्रह्मनिष्ठम् । (मुंडकोपनिषद् ) 

अतः धर्मादि बिषयों पर निज मतमतान्तर के वशीभूत हो बिषयों के अर्थ का अनर्थ करना शास्त्रो की हत्या करने जैसा बीभत्स पाप का कारण होता है ।

■--बिभेत्यल्पश्रुताद् वेदो मामयं प्रहरिष्यति (महाभारत आदिपर्व)


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माता जानकी का आविर्भाव साधारण स्त्रियों की भांति नही हुआ   वे तो  अयोनिजा है 

जो भगवती देवी जगत् जननी है जो शक्ति स्वरूपा महामाया है जो समस्त जगत् की प्रसूता है उनकी प्रसूता भला कौन हो ??

इस लिए शास्त्रो में उस जगत् जननी को अयोनिजा होने का दिग्दर्शन भी कराता है तिमिर रोग से ग्रसित व्यक्ति को समस्त बिषयों में ही खोंट दिखे तो इसमें भला शास्त्र का क्या दोष ??


■---अयोनिजां हि मां ज्ञात्वा नाध्यगच्छद्विचिन्तयन् (वा०रा०२/११८/ )


■--वीर्य शुल्का इति मे कन्या स्थापिता इयम् अयोनिजा (वा०रा १/६६/१४)


माता जानकी के अयोनिजा होने की घोषणा केवल मात्र वाल्मीकि कृत रामायण ही नही अपितु विष्णुधर्मोत्तर पुराण भी करता है 


■---भूय सीता समुत्पन्ना जनकस्य महात्मनः ।। 

अयोनिजा महाभागा कर्षतो यज्ञमेदिनीम् (विष्णु धर्मोत्तर पुराण )

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जो जगत् जननी दिव्य स्वरूपा है उनका आविर्भाव भी दिव्य ही होगा 

न कि साधारण स्त्रियों की भांति ??


माता जानकी जब देवी अनुसूया के मध्य सम्वाद होता है तो माता सीता कहती है ।


■--तस्य लाङ्गलहस्तस्य कर्षत: क्षेत्रमण्डलम् । 

अहं किलोत्थिता भित्त्वा जगतीं नृपते: सुता (वा०रा० २/११८/२८)


महाराज जनक यज्ञ के योग्य क्षेत्र को हाथ मे हल लेकर जोत रहे थे उसी समय मैं भूमि से बाहर प्रकट हुई ।


माता सीता द्वारा  ठीक यही वृतान्त अग्नि परीक्षण के प्रसङ्ग में भी कहा गया है 


■--उत्थिता मेदिनीं भित्वा क्षेत्रे हलमुखक्षते |

पद्मरेणुनिभैः कीर्णा शुभैः केदारपांसुभिः॥ (रामायण सुन्दर काण्ड सर्ग १८)

केवल वाल्मीकि रामायण ही क्यो वेदव्यास कृत पद्मपुराण में भी यही कथा देखने को मिलता है ।


■--अथ लोकेश्वरी लक्ष्मीर्जनकस्य निवेशने ।

शुभक्षेत्रे हलोद्धाते सुनासीरे शुभेक्षणे ॥ (पद्मपुराण ६/२४२/१००)

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माता जानकी के बिषय में मिथिला नरेश जनक महर्षि विश्वामित्र से कहते है 


■--अथ मे कृषतः क्षेत्रम् लांगलात् उत्थिता मम ॥

क्षेत्रम् शोधयता लब्ध्वा नाम्ना सीता इति विश्रुता ।

भू तलात् उत्थिता सा तु व्यवर्धत मम आत्मजा ॥ (वा०रा०१/६६/१३-१४)


राजा जनक के बिषय में श्री हरि: स्वयं घोषणा करते है 


कर्मणैव हि संसिद्धिमास्थिता जनकादयः (गीता)


अतः मिथिला नरेश स्वप्न में भी मिथ्या भाषण न किया होगा फिर तो भूत भविष्य के द्रष्टा महर्षि विश्वामित्र के समक्ष मिथ्या भाषण कैसे करते ??

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माता जानकी के बिषय में वरुण पाण्डेय द्वारा अपुष्ट अप्रामाणिक कथनों के बिषय में विद्वजन बिचार करें ।।

यदि मुझसे  कोई त्रुटि हो तो विद्जनो से अनुरोध है कि विनम्रता पूर्वक उन त्रुटियों को रेखांकित करें धन्यवाद 


#शैलेन्द्र_सिंह