Wednesday 19 September 2018

पञ्चरात्र आगम

-------------------- #पञ्चरात्र_आगम ------------------------

भारतीय संस्कृति निगमागम मूलक है इस संस्कृति का आधार जिस तरह निगम है उसी तरह आगम भी है ! अनादि सम्प्रदाय सिद्ध गुरु शिष्य परम्परा क्रमागत शास्त्र सन्दर्भ आगम शब्द से अभिहित होता है पदवाक्य प्रमाणज्ञ भगवान भर्तुहरी ने महाभाष्य पष्पाशाह्रिक में निर्दिष्ट आगम:खल्वपि  इस प्रतीक की व्यख्या करते हुए उस आगम को श्रुति लक्षण तथा स्मृति लक्षण होना कहा है वाचस्पति मिश्र के अनुसार

 #आगच्छन्ति_बुद्धिमारोहन्ति_यस्मात् #अभ्युदयनि:#श्रेयसोपाया: #स: #आगम
अर्थात :- जिससे अभ्युदय (लौकिक कल्याण )तथा नि:श्रेयस (मोक्ष) के उपाय बुद्धि में आते हो उसे आगम कहते है निष्कर्ष रूप में अभ्युद तथा निःश्रेयस के उपायों का प्रतिपादित शास्त्र आगमशास्त्र है ।इस साधना के अंतर्गत क्रिया प्रधान अनुष्ठानों का स्थान महत्वपूर्ण होता है वराहितन्त्र में अधोलिखित रूप में आगम का लक्षण निर्देश किया है ।

#सृष्टिश्च_प्रलयश्चैव_देवतानां_यथार्चनम
साधनं चैव सर्वेषां पुरश्चरणमेव च
षट्कर्मसाधनं चैव ध्यानयोगश्चतुर्विध
सप्तभीलक्षणैयुक्तमागम तद्विदुर्बुधा:
अर्थात जिस शास्त्र में यह सात बिषय प्रतिपादित हो उसे आगम शास्त्र कहते है |
कई ऐसे तथाकथित विद्वान भी है जो यह कहते है कि पञ्चरात्र  अवैदिक मत है
पञ्चरात्र आगम को अवैदिक कहने वाले कम से कम शास्त्रमर्यादा का भी ख्याल रख लेते तो यूँ आक्षेप न लगाते इतिहास ,पुराणादि अयाख्यानों में पञ्चरात्र सिद्धांत को वेदोक्त धर्म ही माना है न कि उसे अवैदिक कहा ??

#त्रयीसांख्यवेदांतयोगाः #पुराणं_तथा_पञ्चरात्रं_प्रभो_धर्मशास्त्रम्  (स्कंद पुराण वैष्णव खण्ड)

पुराणादि से लेकर महाभारत तक ऐतिहासिक ग्रन्थो ने भी पञ्चरात्र को वेदोक्त धर्म ही माना है |
ऋक यजु साम की तरह पञ्चरात्र भी  नारायण के श्रीमुख से ही उद्गीत हुआ है ।

#इदंमहोपनिषदंचतुर्वेदसमन्वितम्।
#सांख्ययोगकृतंतेन_पञ्चरात्रानुशब्दितम्।।
#नारायंणमुखोदीतं (महाभारत मोक्षधर्मपर्व )

#पाञ्चरात्रस्य_कृत्स्नस्य_वक्ता_तु_भगवान्स्वयम् (महाभारत शांतिपर्व ३५९/६८)

पञ्चरात्र सिद्धान्त का प्रचार प्रसार स्वयं देवऋषि नारद,  शाण्डिल्य ऋषि से लेकर पाण्डवो ने किया

#श्रुत्वैतदाख्यानवरं_धर्मराड्‌जनमेजय।
#भ्रातरश्चास्य_ते_सर्वे_नारायणपराभवन्।।(महाभारत मोक्षधर्म पर्व)

क्षत्रियशिरोमणि उपरिचर नरेश सम्पूर्ण ऐश्वर्य से युक्त थे  उनके शाशनकाल में नित यज्ञ का प्रयोजन होता था जिस कारण उनके घर पर पञ्चरात्र शास्त्र के मुख्य विद्वान सदा निवास करते थे ।

#काम्यनैमित्तिका राजन्यज्ञियाः परमक्रियाः।
सर्वाः सात्वतमास्थाय विधिं चक्रे समाहितः।।
पाञ्चरात्रविदो मुख्यास्तस्य गेहे महात्मनः। (महाभारत मोक्षधर्म पर्व)

ऐसे में पञ्चरात्र आगम को अवैदिक कहने का साहस वही कर सकते है जिन्होंने श्रुति ,इतिहास,पुराणादि का मुख तक देखा न हो |
पञ्चरात्र सिद्धान्त का प्रचार सम्पूर्ण भारतवर्ष में वयाप्त था इसका प्रमाण स्वयं महाभारत ही करता है ।

#सात्वतो_धर्मोव्याप्य_लोकानवस्थित: (महाभारत मोक्षधर्म पर्व )

भगवद्पाद श्रीरामानुजाचार्य ने श्रीभाष्य में उक्त कथन (पञ्चरात्रस्य कृत्स्नस्य )को उद्भूत करते हुए पञ्चरात्र वक्ता नारायण का परिचय इस प्रकार दिया है #वेदवेद्यश्च परब्रह्मभूतो नारायण....अतो वेदान्तवेद्य परब्रह्म भूतो नारायण:स्वयमेव  पञ्चरात्रस्य वक्तेति तत्स्वरूपतदुपासनाभिधायी ततंत्रमिति च तस्मिन्नितरतंत्र समान्यम न केनचिद्भावयितुं शक्यं (श्रीभाष्य)

-----#श्रीनारायण_हरि:--------