भीमराव अम्बेडकर का जन्म एक सम्भ्रान्त परिवार में हुआ था भीमराव अम्बेडकर के दादा
मालो जी सकपाल ईष्ट इण्डिया के अंतर्गत मुम्बई सेना में हवलदार पद पर विभूषित थे
मालोजी सकपाल के दो संतान हुए जिनमे एक पुत्र रामजी सकपाल और दूसरा पुत्री के रूप में मीरा बाई
मालो जी सकपाल का पुत्र राम जी सकपाल सैनिक स्कूल के प्रधानाचार्य नियुक्त होते हुए सूबेदार मेजर पद पर विभूषित थे ।
ऐसे सम्भ्रान्त परिवार के बिषय में यह नैरेटिव गढ़ा जाता है कि भीमराव अम्बेडकर सहित उनके परिवार का शोषण हुआ ।
जिनके कुल के सदस्य सैनिक के महत्वपूर्ण पदों पर विभूषित उस कुल के शोषण तो क्या ऊंची आवाज में कोई बात तक न कर सके फिर ऐसे कैसे नैरेटिव गढ़ा गया कि उनके कुल का शोषण हुआ ??
हमने यहाँ भीमराव अम्बेडकर के बाल्यकाल से लेकर बृद्धावस्था तक के फोटो को शेयर भी किया है एक भी ऐसा फोटो नही जहाँ भीमराव अम्बेडकर सूटबूट में न हो ।
भीमराव अम्बेडकर एक सम्भ्रान्त परिवार से था उनके रहन सहन वेशभूषा तथा उनका पठनपाठन भी विश्व के धनी विद्यालयों में हुई थी यह सर्वविदित है ।
उनकी जीवनी पढ़ने से ज्ञात होता है कि वे न तो शोषित ही थे और न ही अछूत ।
यदि शोषित होते तो इतने सम्भ्रान्त कैसे होते ?
और यदि उन्हें अछूत माना जाता तो उनकी शिक्षा दीक्षा एक ब्राह्मण के सानिध्य में कैसे हुई ??
फिर ऐसा क्या हुआ कि भीमराव अम्बेडकर हिन्दू धर्म के प्रति विषवमन किया ??
क्यो भारतीयों के जनमानस में यह जहर घोला की शुद्रो को शोषित किया जाता है उसे अछूत माना जाता है ??
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भगवन् के चरण कहे जाने वाले शुद्र अछूत कैसे हो सकते है ??
सनातन धर्म मे तो चरणों की महत्ता ऐसी की , की भगवद् विग्रह में चरणों की ही पूजा की जाती है मुखमण्डल की नही ।
पूरा का पूरा शरीर इन्ही चरणों के स्तम्भ पर खड़ा होता है फिर उन्हें अछूत कैसे माना जाता ??
यदि ऐसा होता तो विदुर शुद्र होते हुए भी हस्तिनापुर जैसे महान साम्राज्य का महामन्त्री कैसे बना ??
इक्ष्वाकु वंश के राजा हरिश्चंद्र एक चाण्डाल के यहाँ नौकरी कैसे किया यदि अछूत माना जाता तो यह सम्भव ही न होता और यदि शोषित होता तो इक्ष्वाकु वंश के राजा को खरीदने का उस चाण्डाल के पास धन नही होता ।
अस्तु सनातन धर्म वर्णव्यवस्था शोषक नही पोषक है समस्त वर्णो को अपने अपने क्षेत्र में एकाधिकार प्राप्त था कोई भी वर्ण दूसरे वर्ण के व्यवस्था का अतिक्रमण नही करता था ।
तभी यह भारत भूमि आर्थिक रूप से सबसे सम्पन्न था और यवन ,अरब,तुर्क,ब्रिटिश भारत पर डाका डालने आये ।
प्रश्न तो बहुतेरे है ।
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दर्शल ऐसा इसलिए हुआ कि जिस आयु में युवक अपने संस्कृतियो और संस्कारों के प्रति जिज्ञाशू होते है वे उसी आयु में ईसाई बहुल देश अमेरिका चले गए तब उनकी उम्र महज 22 वर्ष की थी यही वह कालखण्ड था जब भारत मे क्राइस्ट मिशनरियों द्वरा सनातन संस्कृतियो पर प्रहार किया जा रहा था यहाँ के संस्कारों के प्रति लोगो मे विषवमन किया जारहा था और धर्मांतरण की होड़ लगी थी जब भारत देश मे यह दृश्य चारो ओर था फिर ईसाई बहुल देशों में रह कर भीमराव अम्बेडकर के बिचारो में बदलाव कैसे न हो ???
अंग्रेजो ने जातिवाद का बीज इन्ही के माध्यम से बोया और भारत मे जातिवाद का फसल लहलहाने लगा ।
जिसका लाभ सभी मत पन्थो मजहबो को मिला जिसे जहां भी मौका मिला वे फसल काट (धर्मांतरण ) कर ले गए ।
और आज भी उसी फसल का बीज इस भारत भूमि में पसरा पड़ा है जब जिन्हें मौका मिलता है चुन लेते है ।
शैलेन्द्र सिंह
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