त्रैगुण्यविषया_वेदा (गीता)
वेदे सर्वज्ञानमयो हि सः (मनुस्मृति)
वेद सात्विक ,राजसिक,तामसिक तीनो गुणों को भी मोक्ष प्रदान करने वाला है ऐसे में यदि अग्निषोमियदि के बिरोध करने वाले के कथनों को माने तो ( तंत्र विद्या) वाममार्गी तो नरक के ही भागी होंगे फिर दुर्गा,काली आदि देवियों की स्तुत्य पशुबलि कर कौन ऐसा ब्यक्ति है जो नरक में जाने की इच्छा करेगा ?क्यो की वाममार्ग में बलि मान्य है ऐसे में वेद इन वाममार्गियों का उद्धार कैसे करेगा ??
ऐसे में त्रैगुण्यविषया वेदा से वेदों की सिद्धि कैसे हो ??तब तो वेद भी अमान्य हो जाएगा इस लिए वेद सात्विक राजसिक तामसिक मार्गो को भी मोक्षप्रदान करने के लिए भिन्न भिन्न मार्गो को प्रसस्त किया है
इस लिए श्रुतियों का उद्घोष है #स्वर्गकामो_यजतेती_सततं_श्रूयते_श्रुति
अग्निषोमियादिषु च न हिंशा पशो: निहिन्तरच्छागादिदेहिपरि त्यागपूर्वक कल्याणदेह स्वर्गादिप्राप्तकत्वश्रुते: संज्ञपनस्य
यज्ञाधारं जगतसर्व यज्ञो विश्वस्य जीवनम्
यज्ञो ही परमो धर्मो यज्ञे सर्वप्रतिष्ठितम (इति श्रुति:)
अग्निषोमियादिषु च न हिंशा पशो: निहिन्तरच्छागादिदेहिपरि त्यागपूर्वक कल्याणदेह स्वर्गादिप्राप्तकत्वश्रुते: संज्ञपनस्य
न वा एतन् म्रियसे नोत रिष्यसि देवं इदेषि पथिभिः शिवेभिः ।
यत्र यन्ति सुकृतो नापि दुष्कृतस्तत्र त्वा देवः सविता दधातु ॥ (यजुर्वेद)
अग्नीषोमीयं पशुमालभते (ऐतरेय ब्राह्मण २/३)
यज्ञोऽस्य भूत्यै सर्वस्य तस्माद्यज्ञे वधोऽवधः । ।
या वेदविहिता हिंसा नियतास्मिंश्चराचरे ।
अहिंसां एव तां विद्याद्वेदाद्धर्मो हि निर्बभौ ।(मनुस्मृति)
अनुग्रह:पशूनां ही संस्कारो विधिनोदित:(महाभारत शान्तिपर्व ४९/२८)
पशवश्चाथ धान्यं च यज्ञस्याङ्गमिति श्रुतिः।।(महाभारत मोक्षधर्म पर्व २६८/२०)
न हिनस्ति नारभते नाभिद्रुह्यति किंचन।
यज्ञैर्यष्टव्यमित्येव यो यजत्यफलेप्सया।।(महाभारत मोक्षधर्म पर्व २६८/३१)
शैलेन्द्र सिंह
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