Thursday, 24 July 2014

आसुरी प्रवृति

अवटे च अपि माम् राम निक्षिप्य कुशली व्रज । रक्षसाम् गत सत्त्वानाम् एष धर्मः सनातनः ॥३-४-२२॥[[बा0रा0]]

असुरगण का आहार तामसिक कर्म मारकाट और मृत्युपरांत स्थूल सरीर को गड्ढे में दफन होना ऐसा शास्त्र प्रमाण है ।

दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च ।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ संपदमासुरीम् ॥१६- ४॥[[गीता]]


 दम्भ, घमण्ड और अभिमान तथा क्रोध, कठोरता और अज्ञान भी- ये सब आसुरी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं॥4॥


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