अमोघं बत मे क्षान्तं पुरुषे पुष्करेक्षणे । येयमिक्ष्वाकुराज्यश्रीः पुत्र त्वां संश्रयिष्यति ॥२-४-४१॥[[बा0 रा0]]
भावार्थ -----
मैंने इतने दिनों तक पुराण पुरुष कमलनयन नारायण के व्रत उपवास किये वो सब आज सफल हुए जो यह इक्ष्वाकु वंश की राज्यश्री अब तुमको प्राप्त होने वाली है ।
तत्र तां प्रवणामेव मातरं क्षौमवासिनीम् । वाग्यतां देवतागारे ददर्शायाचतीं श्रियम् ॥२-४-३०॥[[बा0रा0]]
भावार्थ----
वहां जा कर देखा की माता कौशल्या रेशमी वस्त्र पहने हुए देव मंदिर में बैठी हुई है मौन व्रत धारण कि हुई श्री राम चन्द्र के अभ्युदय के लिए प्रार्थना कर रही थी ।
कौसल्या अपि तदा देवी रात्रिम् स्थित्वा समाहिता ।
प्रभाते तु अकरोत् पूजाम् विष्णोह् पुत्र हित एषिणी ॥२-२०-१४॥[[बा0रा0]]
देवकार्यनिमित्तम् च तत्रापश्यत् समुद्यतम्।
दध्यक्षतम् घृतम् चैव मोदकान् हविषस्तदा ॥२-२०-१७॥
लाजान् माल्यानि शुक्लानि पायसम् कृसरम् तथा ।
समिधः पूर्णकुम्भाम्श्छ ददर्श रघुनम्दनः ॥२-२०-१८॥
भावार्थ --: उस समय महारानी कौशल्या जी रात्रि भर नियमपूर्वक रह पुत्र की हित कामना से विष्णु भगवन की पूजा कर रही थी ।
श्री राम चन्द्र जी ने यह देखा की देवताओं की पूजा के लिए दही चावल घी लड्डू खीर तैयार है ।
और वहां लावा सफ़ेद पुष्पों की माला तिल चावल खिचड़ी खीर समिधा और जल से भरे कलस रखे है ।
भावार्थ -----
मैंने इतने दिनों तक पुराण पुरुष कमलनयन नारायण के व्रत उपवास किये वो सब आज सफल हुए जो यह इक्ष्वाकु वंश की राज्यश्री अब तुमको प्राप्त होने वाली है ।
तत्र तां प्रवणामेव मातरं क्षौमवासिनीम् । वाग्यतां देवतागारे ददर्शायाचतीं श्रियम् ॥२-४-३०॥[[बा0रा0]]
भावार्थ----
वहां जा कर देखा की माता कौशल्या रेशमी वस्त्र पहने हुए देव मंदिर में बैठी हुई है मौन व्रत धारण कि हुई श्री राम चन्द्र के अभ्युदय के लिए प्रार्थना कर रही थी ।
कौसल्या अपि तदा देवी रात्रिम् स्थित्वा समाहिता ।
प्रभाते तु अकरोत् पूजाम् विष्णोह् पुत्र हित एषिणी ॥२-२०-१४॥[[बा0रा0]]
देवकार्यनिमित्तम् च तत्रापश्यत् समुद्यतम्।
दध्यक्षतम् घृतम् चैव मोदकान् हविषस्तदा ॥२-२०-१७॥
लाजान् माल्यानि शुक्लानि पायसम् कृसरम् तथा ।
समिधः पूर्णकुम्भाम्श्छ ददर्श रघुनम्दनः ॥२-२०-१८॥
भावार्थ --: उस समय महारानी कौशल्या जी रात्रि भर नियमपूर्वक रह पुत्र की हित कामना से विष्णु भगवन की पूजा कर रही थी ।
श्री राम चन्द्र जी ने यह देखा की देवताओं की पूजा के लिए दही चावल घी लड्डू खीर तैयार है ।
और वहां लावा सफ़ेद पुष्पों की माला तिल चावल खिचड़ी खीर समिधा और जल से भरे कलस रखे है ।
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