#निरंकारी_भक्त :- हम इंसानों को भगवान का रूप मानते हैं और तुम्हें
इंसान के बनाये हुए मूर्ति में।
शैलेन्द्र सिंह :- अगर निरंकारी सत्र माने तो हमें हत्यारा,चोर,डंकु,
व्यवहार वाले मनुष्य को भी
भगवान फेलो दुनिया में ऐसा कोई ब्रह्माण्ड निर्माण कहा गया है
जो 24 नामांकित या एक सप्ताह या एक महीना पूरा वर्ष मिथ्या न
सिद्धांत हो या धार्मिक, सामाजिक रूप से ऐसा कोई कार्य न करता हो जो
धर्म विरोधी न हो ?
यदि मैं पूछता हूँ कि भगवान निर्दयी, चोर, हत्यारा, मिथ्यावादी आदि क्या हैं
आदि भी हो सकता है क्या ??तो आपका उत्तर ऐसा नहीं होगा
भगवान हैं तो सभी पापों से सभी का कल्याण हो सकता है
होता है. तो इससे अच्छा है कि हम श्रीहरि के विग्रह में ही भगवान हैं
कल्पना क्यों न करें विग्रह तो इन सभी दोषों से होता है अनुपयोगी कम से कम
आप इस पाप से तो बच जायेंगे कि चोर,डैंकू, बलात्कारी,ब्याभिचारी में आप
भगवान को न देखें, न देखें तानाशाही को, न देखें तानाशाही के रूप में।
भगवत वचन ही अनादि अक्षय भगवान का वाचक है।
शास्त्रों में भगवान के लक्षण षडैश्वर्य अभिलेख में बताए गए हैं
कलिकाल में असम्भव जान अवस्थित है।
समग्र ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान, और, वैराग्य, इन च: गुणों को धारण करने वाला
भगवत् वचन से वाच्य है अब इस कलिकाल में मनुष्य का क्या अर्थ है
इनसब को समर्थन देने वाला हो सकता है ??
स्वयं निरंकारी प्रमुख हरदेवसिंह भी इन छः को धारण करने वाले
हो क्यों की वे इन रहस्योद्घाटन से एक साधारण मनुष्य और सनातन बन सकते हैं
धर्मविद्रोही तभी रहे तो काल के हाथों म्लेच्छ देश में कार क्रांति में मारा गया।
उसे तो यह पुण्य भूमि भारत भी नियति न हो सका संपूर्ण शास्त्रो में भारत
कोओ देवता का नगरी माना जाता है।
जबकि हरदेश सिंह इस पुण्यभूमि भारत से इतर म्लेच्छ देश में कालकवलित हुए।
क्योंकि उसका कार्य ही धर्मविरुद्ध है उसके लिए यह पाप तो भोगना ही है
पड़ा ।
#ऐश्वर्यस्य_समग्रस्य_धम्मस्य_यशसः_श्रियः।
#ज्ञान_वैराग्ययोश्चैव_शान्नां_भाग_इतिङ्गना।(विष्णु पुराण)
शैलेन्द्र सिंह
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